नाभिकीय प्रचक्रण (Nuclear Spin)
किसी नाभिक के प्रचक्रण को सामान्यतः / संकेत से प्रदर्शित करते हैं जिसे प्रचक्रण क्वाण्टम संख्या कहा जाता है। क्वाण्टम यांत्रिकी के अनुसार किसी नाभिक का कोणीय संवेग निम्न समीकरण से प्रदर्शित होता
कोणीय संवेग `I=\sqrt{I(I+I)(hI2\pi)}=\sqrt{I(I+I)}` इकाईयाँ
हम प्रत्येक नाभिक के लिए कोई एक मान `0,\frac{1}{2},0,\frac{3}{2},...`
लेते हैं। इस प्रकार उपरोक्त समीकरण से हम किसी इलेक्ट्रॉन के लिए प्रचक्रण क्वाण्टम संख्या एवं कोणीय संवेग को परिभाषित कर सकते हैं। इसपकार / प्रचक्रण क्वाण्टम संख्या संकेत पर किसी इलेक्ट्रॉन के लिए इसका मान
होगा।
इलेक्ट्रॉन केवल नाभिक के चारों और ही परिभ्रमण नहीं करता है। अपितु अपने अक्ष पर भी भ्रमण करता है। इस प्रकार यह नाभिकीय प्रचक्रण दायी एवं बाई ओर (घड़ी की दिशा
एवं विपरीत दशा में) भ्रमण कर दो मान देता है `+1/2,और -1/2
यही नाभिकीय प्रचक्रण या प्रचक्रण क्वाण्टम संख्या है। नाभिकीय अनुनाद (Nuclear resonance) इसी अध्याय में परिचय के अन्तर्गत इसका वर्णन किया जा चुका है। उसे देखें कुछ सामान्य निम्नानुसार समझा जा सकता है।
में परमाणु या प्रोटॉन एक छोटे प्रचक्रणी दण्ड चुम्बक की भाँति कार्य करता है जो कि बाह्य चुम्बकीय ३५ से समानान्तर या प्रांत समानान्तर संरेखण प्रदर्शित करता है। यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार होती है जैसे के एक चुम्बकीय दिक्सूचक की सुई पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ संरेखण प्रदर्शित करती है। क्वाण्टन की वजह से प्रोटॉन समानान्तर (निम्न ऊर्जा स्तर) या प्रति समानान्तर संरेखण (उच्च ऊर्जा स्तर) करता है। प्रचक्रण चुम्बक के रूप में जो ऊर्जा स्तर प्रोटॉन द्वारा प्रदर्शित होते हैं। निम्नानुसार दर्शाए
प्रचणी चुम्बक के रूप में प्रोटान, बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के साथ पुरस्सरण या इसके विपरीत पुरस्सरण करता है। पुरस्सरण करते प्रदान की आवृत्ति या चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति के समानुपाती होती है।
Bo
पुरस्सर आवृत्ति B बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति है। उदाहरण के लिये यदि प्रोटान बाह्य चुम्बकीय बल के साथ पुरस्सरण करे तो उसकी आवृत्ति लगभग 60 मेगाहर्टज होगी। पुरस्सरण करते प्रोटान ऊर्जा ग्रहण करके उच्च ऊर्जा स्तर में प्रवेश करते हैं। इसके विपरीत उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा में आने के लिए प्रोटान द्वारा ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। पुरस्सरण करते इस प्रोटान की ऊर्जा रेडियो तरंग क्षेत्र में मेल खाती है। अतः यदि प्रदान को रेडियो तरंग क्षेत्र को ऊर्जा प्रदान करें तो इस क्षेत्र की आवृत्ति पुरस्सरण करते प्रोटान की आवृत्ति के बराबर हो सकती है। ऐसे में रेडियो तरंग क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र के साथ यह अनुवाद का प्रदर्शन करता है। इसे नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद या प्रोटान चुम्बकीय अनुनाद भी कहा जा है।
अन्य नाभिक का चुम्बकीय अनुनाद
ऐसे कि जिनकी च क्वाण्टम संख्या शून्य से अधिक होती है। वहीं नाभिकीयम्बकीय अनुनाद का प्रदर्शन करते हैं (/>0) इस संख्या को नाभिक के द्रव्यमान संख्या व परमाणु संख्या से जोड़ा जा सकता है।
संतृप्तीकरण (Saturation) जब उच्च एवं निम्न संक्रमण समान रूप से होते है। तब से में कोई अवशोषण नहीं होता है। इस प्रकार के तंत्र को जिसमे ऊर्जा का अवशोषण उत्सर्जन न हो संतृप्त कहते है। यदि दोनों में से किसी में भी अवशोषण ऊर्जा में कमी से जाती है तो साम्यावस्था स्थापित
करने पुर्नस्थापन हो जाता है।