Tanabe Sugano Diagrams(टैनावे-सुगानो आरेख)

टैनावे-सुगा नो आरेख (Tanabe Sugano Diagrams)

आर्गेल-आरेखों से स्पेक्ट्रम की पूरी तरह व्याख्या संभव नहीं होती, विशेष रूप से प्रबल-क्षेत्रों के प्रकरणों में ! इसके लिये टैनाबे-सुगानो आरेख अधिक उपयोगी पाये गये हैं। ये आरेख क्षेत्र-सामर्थ्य (Field Strength) के साथ पदों की ऊर्जा में होने वाले परिवर्तनों को थोड़े भिन्न रूप में (ऊर्जा, E/ B और क्षेत्र - सामर्थ्य A/B के रूप में) प्रदर्शित करते हैं (चित्र 1.6)। क्योंकि टैनाबे-सुगानो आरेख दुर्बल और प्रबल दोनों क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं, अतः ये ऑर्गेल-आरेखों की तुलना में अधिक सक्षम हैं। ये अन्तरसंबंध-आरेखों (Correlation diagrams) के अनुरूप होते हैं, किन्तु मात्रात्मक जानकारी देने की दृष्टि से अधिक उपयोगी होते हैं।

d'- अष्टफलकीय संकुल के लिये टैनाबे-सुगानो आरेख का सरल रूप चित्र-2.6 में दिया गया है। इन आरेखों में आद्य-अवस्था हमेशा आधार (Abscissa) के रूप में ली जाती है तथा अन्य स्तरों की ऊर्जा इसके सापेक्ष आलेखित की जाती है । अन्तर इलेक्ट्रॉनीय प्रतिकर्षण (Interelectronic repulsion) राका-स्थिरांकों (Racah-Parameters) B तथा C के रूप में व्यक्त किया जाता है | B स्थिरांक समान चक्रण-बहुकता (Spin Multiplicity) के स्तरों के ऊर्जा-अन्तर की जानकारी देने के लिये काफी होता है; किंतु भिन्न बहुकता के पदों के लिये B और C दोनों स्थिरांक जरूरी होते हैं। समान चक्रण बहुकता के मुक्त आयन आद्य-अवस्था F पद और उत्तेजित P पद के बीच ऊर्जा का अन्तर 15 B होता है (जैसा कि d2, d3, d7 और 28 विन्यासों में देखने को मिलता है) 


टैनांबे-सुगानो आरेखों में ऊर्जा, E, और क्षेत्र-सामर्थ्य B के रूप में क्रमश: E/B और A/B द्वारा व्यक्त की जाती है। चित्र-1.6 में C/B अनुपात 4.8 होता है, जबकि अधिकांश संक्रमण-श्रेणी के आयनों में B का मान लगभग 1000 cm- प्राप्त होता है और C = - 4B होता है b

28 दुर्बल अष्टफलकीय क्षेत्र में d° संकुल की आद्य अवस्था (Ground State) ST है, जो मुक्त आयन के SD पद से उत्पन्न होती है (चित्र- 1.6) 1 दुर्बल- क्षेत्र की सीमा पर उत्तेजित पदों में से एक A18 (मुक्त आयन 1 से), जो A बढ़ने के साथ निम्न-ऊर्जा की होती जाती हैं, अंत में A/B = 20 पर आकर, को विस्थापित करके आद्य-पद (Ground Term) बन जाती है। इस बिन्दु पर आकर चक्रण का 'युग्मन (Spin pairing) प्रारंभ होता है। इस सीमा के बाद निम्न-चक्रण (Low Spin) A पद आद्य- अवस्था बनी रहती है।

किसी भी अष्टफलकीय व संकुल के स्पेक्ट्रम की व्याख्या चित्र-1.6 के द्वारा की जा सकती 2g है। यथा- उच्च-चक्रण [Co Fol में केवल एक चक्रण अनुमत (Spin allowed) स्थानान्तरण, 5T, → Eg होता है, अत: एक अवशोषण 13,100 cm-1 पर प्राप्त होता है, जो इसके नीले रंग का कारण है, जबकि निम्न-चक्रण (Low-spin) Co3+ संकुल में अपेक्षाकृत निम्न-ऊर्जाओं पर दो चक्रण अनुमत स्थानान्तरण, 'A1g → 'Tig → T28 प्राप्त होते हैं। इनके अतिरिक्त, अन्य चक्रण-अनुमत तथा Ag स्थानान्तरण उच्च ऊर्जाओं पर होते हैं जो पूर्णतः अनुमत स्थानान्तरणों द्वारा ढँक लिये जाते हैं, अतः दिखाई नहीं देते। क्योंकि 'T2g का ढाल 1T18 की तुलना में बहुत तेजी से परिवर्तित होता है, अतः दिखने वाली दो चोटियाँ 4 के उच्च मानों पर काफी पृथक (ऊर्जा-अन्तर अधिक) हो जाती हैं, जैसा कि पीले A [Co (en),]3+ तथा हरे [Co (OX),)*- संकुलों के स्पेक्ट्रमों में देखने को मिलता है।